6 फ़िरौन ने उसी दिन उन परिश्रम करवानेवालों को जो उन लोगों के ऊपर थे, और उनके सरदारों को यह आज्ञा दी, 7 "तुम जो अब तक ईंटें बनाने के लिये लोगों को पुआल दिया करते थे, वह आगे को न देना; वे आप ही जाकर अपने लिये पुआल इकट्ठा करें। 8 तौभी जितनी ईंटें अब तक उन्हें बनानी पड़ती थीं उतनी ही आगे को भी उनसे बनवाना, ईंटों की गिनती कुछ भी न घटाना; क्योंकि वे आलसी हैं, इस कारण यह कहकर चिल्लाते हैं, 'हम जाकर अपने परमेश्वर के लिये बलिदान करें ।' 9 उन मनुष्यों से और भी कठिन सेवा करवाई जाए कि वे उस में परिश्रम करते रहें और झूठी बातों पर ध्यान न लगाएँ।" 10 तब लोगों के परिश्रम करानेवालों ने और सरदारों ने बाहर जाकर उनसे कहा, “फ़िरौन इस प्रकार कहता है, 'मैं तुम्हें पुआल नहीं दूँगा ।
11 तुम ही जाकर जहाँ कहीं पुआल मिले वहाँ से उसको बटोर कर ले आओ; परन्तु तुम्हारा काम कुछ भी नहीं घटाया जाएगा' ।" 12 इसलिये वे लोग सारे मिस्र देश में तितर-बितर हुए कि पुआल के बदले खूँटी बटोरें। 13 परिश्रम करानेवाले यह कह कहकर उनसे जल्दी करते रहे, कि जिस प्रकार तुम पुआल पाकर किया करते थे उसी प्रकार अपना प्रतिदिन का काम अब भी पूरा करो। 14 और इस्राएलियों में से जिन सरदारों को फ़िरौन के परिश्रम करानेवालों ने उनका अधिकारी ठहराया था, उन्होंने मार खाई और उनसे पूछा गया, "क्या कारण है कि तुम ने अपनी ठहराई हुई ईंटों की गिनती के अनुसार पहले के समान कल और आज पूरी नहीं कराई ?"
15 तब इस्राएलियों के सरदारों ने जाकर फ़िरौन की दोहाई यह कहकर दी, “तू अपने दासों से ऐसा बर्ताव क्यों करता है? 16 तेरे दासों को पुआल तो दिया ही नहीं जाता और वे हम से कहते रहते हैं, 'ईंटे बनाओ, ईंटें बनाओ,' और तेरे दासों ने भी मार खाई है; परन्तु दोष तेरे ही लोगों का है ।'' 17 फ़िरौन ने कहा, "तुम आलसी हो, आलसी; इसी कारण कहते हो कि हमें यहोवा के लिये बलिदान करने को जाने दे। 18 अब जाकर अपना काम करो; और पुआल तुम को नहीं दिया जाएगा, परन्तु ईंटों की गिनती पूरी करनी पड़ेगी।" (बाइबल वचन भजन संहिता)
19 जब इस्राएलियों के सरदारों ने यह बात सुनी कि उनकी ईंटों की गिनती न घटेगी, और प्रतिदिन उतना ही काम पूरा करना पड़ेगा, तब वे जान गए कि उनके संकट के दिन आ गए हैं। 20 जब वे फ़िरौन के सम्मुख से बाहर निकल आए तब मूसा और हारून, जो उनसे भेंट करने के लिये खड़े थे, उन्हें मिले; 21 और उन्होंने मूसा और हारून से कहा, "यहोवा तुम पर दृष्टि करके न्याय करे, क्योंकि तुम ने हम को फ़िरौन और उसके कर्मचारियों की दृष्टि में घृणित * ठहराकर हमें घात करने के लिये उनके हाथ में तलवार दे दी है।"
परमेश्वर से मूसा की शिकायत
परमेश्वर से मूसा की शिकायत |
22 तब मूसा ने यहोवा के पास लौटकर कहा, "हे प्रभु, तू ने इस प्रजा के साथ ऐसी बुराई क्यों की ? और तू ने मुझे यहाँ क्यों भेजा ? 23 जब से मैं तेरे नाम से फिरौन के पास बातें करने के लिये गया तब से उसने इस प्रजा के साथ बुरा ही व्यवहार किया है, और तू ने अपनी प्रजा का कुछ भी छुटकारा नहीं किया।"
6 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “अब तू देखेगा कि मैं फिरौन से क्या करूँगा, जिससे वह उनको बरबस निकालेगा; वह तो उन्हें अपने देश से बरबस निकाल देगा।"
मूसा का बुलाया जाना
2 परमेश्वर ने मूसा से कहा, "मैं यहोवा हूँ। 3 मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर के नाम से अब्राहम, इसहाक, और याकूब को दर्शन देता था, परन्तु यहोवा के नाम से मैं उन पर प्रगट न हुआ। * 4 और मैं ने उनके साथ अपनी वाचा दृढ़ की है, अर्थात् कनान देश जिसमें वे परदेशी होकर रहते
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