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मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा
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मिस्र में इस्राएलियों की दुर्दशा


1 इस्राएल के पुत्रों के नाम, जो अपने अपने घराने को लेकर याकूब के साथ मिल देश में आए, ये हैं 2 रूबेन, शिमोन लेवी, यहूदा, 3 इस्साकार, जबूलून, बिन्यामीन, 4 दान, नप्तालो, गाद और आशेर 5 और यूसुफ तो मिस्र में पहले ही आ चुका था। याकूब के निज वंश में जो उत्पन्न हुए वे सब सत्तर प्राणी थे। 
6 यूसुफ और उसके सब भाई और उस पीढ़ी के सब लोग मर मिटे 7 परन्तु इस्राएल की सन्तान फूलने- फलने लगी; और वे लोग अत्यन्त सामर्थी बनते चले गए, और इतना अधिक बढ़ गए कि सारा देश उनसे भर गया। " 8 मिस्र में एक नया राजा गद्दी पर बैठा जो यूसुफ को नहीं जानता था। 9 उसने अपनी प्रजा से कहा, "देखो, इस्राएली हम से गिनती और सामथ्य में अधिक बढ़ गए हैं। 10 इसलिये आओ, हम उनके साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करें, कहीं ऐसा न हो कि जब वे बहुत बढ़ जाएँ और यदि संग्राम का समय आ पड़े, तो हमारे बैरियाँ से मिलकर हम से लड़ें और इस देश से निकल जाएँ।'  

11 इसलिये उन्होंने उन पर बेगारी करानेवालों को नियुक्त किया कि वे उन पर भार डाल डालकर उनको दुःख दिया करें, और उन्होंने फिरौन के लिये पितोम और रामसेस नामक 'भण्डारवाले नगरों को बनाया। 12 पर ज्यों ज्यों वे उनको दुःख देते गए, त्यों त्यों वे बढ़ते और फैलते चले गए; इसलिये वे इस्त्राएलियों से अत्यन्त डर गए। 13 तौभी मिस्त्रियों ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवा करवाई, 14 और उनके जीवन को गारे, ईंट और खेती के भाँति-भाँति के काम की कठिन सेवा से दुःखी कर डाला; जिस * किसी काम में वे उनसे सेवा करवाते थे उसमें वे कठोरता का व्यवहार करते थे।

15 शिप्रा और पूआ नामक दो इब्री धाइयों को मिस्र के राजा ने आज्ञा दी, 16 "जब तुम sat स्त्रियों को बच्चा उत्पन्न होने के समय प्रसव के पत्थरों पर बैठी देखो, तब यदि बेटा हो तो उसे मार डालना, और बेटी हो तो जीवित रहने देना ।" 17 परन्तु वे धाइयाँ परमेश्वर का भय मानती थीं, इसलिये मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं। 18 तब मिस्र के राजा ने उनको बुलवाकर पूछा, "तुम जो लड़कों को जीवित छोड़ देती हो, तो ऐसा क्यों करती हो ?''  

19 धाइयों ने फ़िरौन को उत्तर दिया, "इब्री स्त्रियाँ मिस्त्री स्त्रियों के समान नहीं हैं; वे ऐसी फुर्तीली हैं कि धाइयों के पहुँचने से पहले ही उनको बच्चा उत्पन्न हो जाता है।" 20 इसलिये परमेश्वर ने धाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए। 21 इसलिये कि धाइयाँ परमेश्वर का भय मानती थीं, उसने उनके घर बसाए। 22 तब फ़िरौन ने अपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, “इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हो उन सभों को तुम नील नदी में डाल देना, और सब बेटियों को जीवितः रहने देना। (Holy Bible Hindi Fast)

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