याकूब और लाबान के बीच विवाद | holy bible in hindi

14 गेहूं की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल मिले, और वह उनको अपनी माता लिआ के पास ले गया। तब राहेल ने लिआ: से कहा, “अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे।" 15 उसने उससे कहा, "तू ने जो मेरे पति को ले लिया है क्या यह छोटी बात हैं? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेना चाहती है ?" राहेल ने कहा, "अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा।" 16 साँझ को जब याकूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ उससे भेंट करने को निकली, और कहा, "तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैं ने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया। " तब वह उस रात को उसी के संग सोया। 

17 तब परमेश्वर ने लिआ की सुनी, और वह गर्भवती हुई और याकूब से उसके पाँचवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। 18 तब लिआ ने कहा, "मैं ने जो अपने पति को अपनी दासी दी, इसलिये परमेश्वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है।" इसलिये उसने उसका नाम इस्साकार " रखा। 19 लिआ फिर गर्भवती हुई और याकूब से उसके छठवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। 

20 तब लिआ ने कहा, "परमेश्वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छः पुत्र उत्पन्न हो चुके हैं।" इसलिये उसने उसका नाम जबूलून् रखा। 21 तत्पश्चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दोना रखा। 

22 परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली, और उसकी सुनकर उसकी कोख खोलो 23 इसलिये वह गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया, तब उसने कहा, "परमेश्वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है।" 24 इसलिए उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा, "परमेश्वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।" 

याकूब और लाबान के बीच विवाद

याकूब और लाबान के बीच विवाद

25 जब राहेल से यूसुफ उत्पन्न हुआ, तब याकूब ने लावान से कहा, "मुझे विदा कर कि मैं अपने देश और स्थान को जाऊँ। 26 मेरी स्त्रियाँ और मेरे बच्चे, जिनके लिये मैं ने तेरी सेवा की है, उन्हें मुझे दे कि मैं चला जाऊँ तू तो जानता है कि मैं ने तेरी कैसी सेवा की है।" 27 लाबान ने उससे कहा, “यदि तेरी दृष्टि में मैं ने अनुग्रह पाया है, तो यहीं रह जा, क्योंकि मैं ने अनुभव से जान लिया है कि यहोवा ने तेरे कारण से मुझे आशीष दी है। 

28 फिर उसने कहा, "तू ठीक बता कि मैं तुझ को क्या दूँ, और में उसे दूँगा। 29 उसने उससे कहा, "तू जानता है कि मैं ने तेरी कैसी सेवा की, और तेरे पशु मेरे पास किस प्रकार से रहे। 30 मेरे आने से पहले वे कितने थे, और अब कितने हो गए हैं; और यहोवा ने मेरे आने पर तुझे आशीष दी है। पर मैं अपने घर का काम कब करने पाऊँगा ?" 31 उसने फिर कहा, “मैं तुझे क्या दूँ ?" याकूब ने कहा, "तू मुझे कुछ न दे; यदि तू मेरे लिये एक काम करे, तो मैं फिर तेरी भेड़-बकरियों को चराऊँगा, और उनकी रक्षा करूँगा। 

32 में आज तेरी सब भेड़-बकरियों के बीच होकर निकलूंगा, और जो भेड़ या बकरी चित्तीवाली और चितकबरी हो, और जो भेड़ काली हो, और जो बकरी चितकबरी और चित्तीवाली हो, उन्हें में अलग कर रखूंगा; और मेरी मजदूरी में वे ही ठहरेंगी। 33 और जब आगे को मेरी मज़दूरी की चर्चा तेरे सामने चले, तब धर्म की यही साक्षी होगी; अर्थात्  बकरियों में से जो कोई न चित्तीवाली न चितकबरी हो, और भेड़ों में से जो कोई काली न हो, यदि मेरे पास निकलें तो चोरी की ठहरेंगी।" 

34 तब लाबान ने कहा, "तेरे कहने के अनुसार हो।" 35 अतः उसने उसी दिन सब धारीवाले और चितकबरे बकरों, और सब चित्तीवाली और चितकबरी बकरियों को, अर्थात् जिनमें कुछ उजलापन था, उनको और सब काली भेड़ों को  भी अलग करके अपने पुत्रों के हाथ सौंप दिया;             

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