24 लाबान ने अपनी बेटी लिआ: को उसकी दासी होने के लिये अपनी दासी जिल्पा दी। 25 भोर को मालूम हुआ कि यह तो लिआ है, इसलिये उसने लाबान से कहा, "यह तू ने मेरे साथ क्या किया है? मैं ने तेरे साथ रहकर जो तेरी सेवा की, तो क्या राहेल के लिये नहीं की? फिर तू ने मुझ से क्यों ऐसा छल किया है ?" 26 लाबान ने कहा, "हमारे यहाँ ऐसी रीति नहीं कि बड़ी बेटी से पहले दूसरी का विवाह कर दें।
27 इसका सप्ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रहकर और सात वर्ष तक करेगा।" 28 याकूब ने ऐसा ही किया, और लिआ के सप्ताह को पूरा किया; तब लाबान ने उसे अपनी बेटी राहेल भी दी कि वह उसकी पत्नी हो। 29 लाबान ने अपनी बेटी राहेल की दासी होने के लिये अपनी दासी बिल्हा को दिया। 30 तब याकूब राहेल के पास भी गया, और उसकी प्रीति लिआ से अधिक उसी पर हुई और उसने लाबान के साथ रहकर सात वर्ष और उसकी सेवा की।
याकूब की सन्तान
31 जब यहोवा ने देखा, कि लिआ अप्रिय हुई, तब उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बाँझ रही । 32 अतः लिआः गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने यह कहकर उसका नाम रुबेन * रखा, "यहोवा ने मेरे दुःख पर दृष्टि की है, अब मेरा पति मुझ से प्रीति रखेगा।" 33 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, तब उसने यह कहा, "यह सुनके कि मैं अप्रिय हूँ, यहोवा ने मुझे यह भी पुत्र दिया।" इसलिये उसने उसका नाम शिमोन * रखा।
34 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ और उसने कहा, "अब की बार तो मेरा पति मुझ से मिल जाएगा, क्योंकि उस से मेरे तीन पुत्र उत्पन्न हुए।" इसलिये उसका नाम लेवी * रखा गया। 35 और फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक और पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, “अब की बार तो मैं यहोवा का धन्यवाद करूँगी।" इसलिये उसने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसकी कोख बन्द हो गई।
30 जब राहेल ने देखा कि याकूब के लिये मुझ से कोई सन्तान नहीं होती, तब वह अपनी बहिन से डाह करने लगी और याकूब से कहा, "मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊँगी।" 2 तब याकूब ने राहेल से क्रोधित होकर कहा, "क्या मैं परमेश्वर हूँ? तेरी कोख तो उसी ने बन्द कर रखी है।" 3 राहेल ने कहा, "अच्छा, मेरी दासी बिल्हा हाजिर है; उसी के पास जा, वह मेरे घुटनों पर जनेगी, और उसके द्वारा मेरा भी घर बसेगा।" 4 तब उसने उसे अपनी दासी बिल्हा को दिया कि वह उसकी पत्नी हो; और याकूब उसके पास गया।
5 और बिल्हा गर्भवती हुई और याकूब से उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। 6 तब राहेल ने कहा, "परमेश्वर ने मेरा न्याय चुकाया और मेरी सुनकर मुझे एक पुत्र दिया।" इसलिये उसने उसका नाम दान * रखा। 7 राहेल की दासी बिल्हा फिर गर्भवती हुई और याकूब से एक पुत्र और उत्पन्न हुआ। 8 तब राहेल ने कहा, “मैं ने अपनी बहिन के साथ बड़े बल से लिपटकर मल्लयुद्ध किया और अब जीत गई।" अतः उसने उसका नाम नप्ताली * रखा।
9 जब लिआ ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूँ, तब उसने अपनी दासी जिल्पा को लेकर याकूब की पत्नी होने के लिये दे दिया। 10 और लिआ की दासी जिल्पा के भी याकूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। 11 तब लिआः ने कहा, "अहो भाग्य ।" इसलिये उसने उसका नाम गाद रखा। 12 फिर लिआ की दासी जिल्पा के याकूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ। 13 तब लिआः ने कहा, “मैं धन्य हूँ; निश्चय स्त्रियाँ मुझे धन्यः कहेंगी।" इसलिये उसने उसका नाम आशेर रखा।
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