याकूब की लाबान से भेंट | राहेल और लिआ के लिए सेवा | hindi bible bachn in hindi | yeshu Masih new version

21 और मैं अपने पिता के घर में कुशल क्षेम से लौट आऊँ; तो यहोवा मेरा परमेश्वर ठहरेगा। 22 और यह पत्थर, जिसका मैं ने खम्भा खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन ठहरेगा : और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश में अवश्य ही तुझे दिया करूँगा।" 

याकूब की लाबान से भेंट

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29 फिर याकूब ने अपना मार्ग लिया, और पूर्बियों के देश में आया। 2 उसने दृष्टि करके क्या देखा कि मैदान में एक कुआँ है, और उसके पास भेड़-बकरियों के तीन झुण्ड बैठे हुए हैं; क्योंकि जो पत्थर उस कुएँ के मुँह पर धरा रहता था, जिसमें से झुण्डों को जल पिलाया जाता था, वह भारी था। 3 और जब सब झुण्ड वहाँ इकट्ठा हो जाते तब चरवाहे उस पत्थर को कुएँ के मुँह पर से लुढ़काकर भेड़ बकरियों को पानी पिलाते, और फिर पत्थर को कुएँ के मुँह पर ज्यों का त्यों रख देते थे। 4 अतः याकूब ने चरवाहों से पूछा, "हे मेरे भाइयो, तुम कहाँ के हो ?” उन्होंने कहा, "हम हारान के हैं।" 

5 तब उसने उनसे पूछा, “क्या तुम नाहोर के पोते लाबान को जानते हो ?” उन्होंने कहा, “हाँ, हम उसे जानते हैं।" 6 फिर उसने उनसे पूछा, "क्या वह कुशल से है ?” उन्होंने कहा, "हाँ, कुशल से है और वह देख, उसकी बेटी राहेल भेड़-बकरियों को लिये हुए चली आती है।" 7 उसने कहा, को देखो, अभी तो दिन बहुत हैं, पशुओं के इकट्ठे होने का समय नहीं, इसलिये भेड़-बकरियों को जल पिलाकर फिर ले जाकर चराओ ।" 8 उन्होंने पड़े। कहा, "हम अभी ऐसा नहीं कर सकते; जब सब झुण्ड इकट्ठा होते हैं तब पत्थर कुएँ के मुँह पर से लुढ़काया जाता है, और तब हम भेड़-बकरियों को पानी पिलाते हैं।"

9 उनकी यह बातचीत हो ही रही थी कि राहेल, जो पशु चराया करती थी, अपने पिता की भेड़-बकरियों को लिये हुए आ गई। 10 याकूब ने अपने मामा लाबान की बेटी राहेल को, और उसकी भेड़-बकरियों को देखा तो निकट जाकर कुएँ के मुँह पर से पत्थर को लुढ़काया और अपने मामा लाबान की भेड़-बकरियों को पानी पिलाया। 

11 तब याकूब ने राहेल को चूमा, और ऊँचे स्वर से रोया। 12 और याकूब ने राहेल को बता दिया, कि मैं तेरा फुफेरा भाई हूँ, अर्थात् रिवका का पुत्र हूँ। तब उसने दौड़के अपने पिता से कह दिया। 13 अपने भानजे याकूब का समाचार पाते ही लाबान उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसको गले लगाकर चूमा, फिर अपने घर ले आया। याकूब ने लाबान को अपना सब वृत्तान्त सुनाया। 14 तब लाबान ने याकूब से कहा, "तू तो सचमुच मेरी हड्डी और मांस हैं।" और याकूब एक महीना भर उसके साथ रहा। 

राहेल और लिआ के लिए सेवा

15 तब लाबान ने याकूब से कहा, "कुटुम्बी होने के कारण तुझ से मुफ्त में सेवा कराना मेरे लिए उचित नहीं है; इसलिये कह मैं तुझे सेवा के बदले क्या दूँ ?" 16 लाबान की दो बेटियाँ थीं, जिनमें से बड़ी का नाम लिओ और छोटी का राहेल था। 17 लिआ के तो घुसली आँखें थीं, पर राहेल रूपवती और सुन्दर थी। 18 इसलिये याकूब ने, जो राहेल से प्रीति रखता था, कहा, *"मैं तेरी छोटी बेटी राहेल के लिये सात वर्ष तेरी सेवा करूँगा । 

19 सावान ने कहा, “उसे पराए पुरुष को देने से तुझ को देना उत्तम होगा; इसलिये मेरे पास रह ।" 20 अतः याकूब ने राहेल के लिये सात वर्ष सेवा की और वे उसको राहेल की प्रीति के कारण थोड़े ही दिनों के बराबर जान पड़े। 21 तब याकूब ने लावान से कहा, "मेरी पत्नी मुझे दे, और मैं उसके पास जाऊंगा, क्योंकि मेरा समय पूरा हो गया है।" 22 अतः लावान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुलाकर इकट्ठा किया, और एक भोज दिया। 23 साँझ के समय वह अपनी बेटी लिआ को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया।


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