अब्राहम और अबीमेलेक के बीच सन्धि | अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन

21 वह पारान नामक जंगल में रहा करता था; और उसकी माता ने उसके लिये मित्र देश से एक स्त्री मँगवाई।

अब्राहम और अबीमेलेक के बीच सन्धि

22 उन दिनों में ऐसा हुआ कि अबीमलेक अपने सेनापति पीकोल को संग लेकर अब्राहम से कहने लगा, "जो कुछ तू करता है उसमें परमेश्वर तेरे संग रहता है; 23 इसलिये अब मुझ से यहाँ इस विषय में परमेश्वर की शपथ खा कि तू न तो मुझ से छल करेगा और न कभी मेरे वंश से करेगा, परन्तु जैसी करुणा मैं ने तुझ पर की है वैसी ही तू मुझ पर और इस देश पर भी, जिसमें तू रहता है, करेगा।" 24 अब्राहम ने कहा, मैं शपथ खाऊँगा।" 25 तब अब्राहम ने अबीमेलेक को एक कुएँ के विषय में जो अबीमेलेक के दासों ने बलपूर्वक ले लिया था, उलाहना दिया।  

26 तब अवीमेलेक ने कहा, "मैं नहीं जानता कि किस ने यह काम किया और तू ने भी मुझे नहीं बताया, और न मैं ने आज से पहले इसके विषय में कुछ सुना। 27 तब अब्राहम ने भेड़ बकरी और गाय-बैल अबीमेलेक को दिए और उन दोनों ने आपस में वाचा बाँधी 28 अब्राहम ने भेड़ की सात बच्ची अलग कर रखीं। 29 तब अबीमेलेक ने अब्राहम से पूछा, "इन सात बच्चियों का, जो तू ने अलग कर रखी हैं, क्या प्रयोजन है ?" 30 उसने कहा, "तू इन सात बच्चियों को इस बात की साक्षी जानकर मेरे हाथ से ले कि मैं ने यह कुआँ खोदा है। 

31 उन दोनों ने जो उस स्थान में आपस में शपथ खाई, इसी कारण उसका नाम बेर्शेबा * पड़ा। 32 जब उन्होंने बेर्शेबा में परस्पर वाचा बाँधी, तब अबीमेलेक और उसका सेनापति पीकोल उठकर पलिश्तियों के देश में लौट गए। 33 फिर अब्राहम ने बेर्शेबा में झाऊ का एक वृक्ष लगाया और वहाँ यहोवा से जो सनातन ईश्वर है प्रार्थना की। 34 अब्राहम पलिश्तियों के देश में बहुत दिनों तक परदेशी होकर रहा।

अब्राहम के परीक्षा में पड़ने का वर्णन

22 इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, "हे अब्राहम !" उसने कहा, "देख, मैं यहाँ हूँ ।" 2 उसने कहा, "अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह' देश में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा।" 3 अतः अब्राहम सबेरे तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली; तब निकल कर उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उससे की थी।  

4 तीसरे दिन अब्राहम ने आँखें उठाकर उस स्थान को दूर से देखा, 5 और उसने अपने सेवकों से कहा, "गदहे के पास यहीं ठहरे रहो, यह लड़का और मैं वहाँ तक जाकर, और दण्डवत् करके, फिर तुम्हारे पास लौट आएँगे।" 6 तब अब्राहम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और छुरी को अपने हाथ में लिया; और वे दोनों एक साथ चल पड़े। 

7 इसहाक ने अपने पिता अब्राहम से कहा, “हे मेरे पिता," उसने कहा, “हे मेरे पुत्र, क्या बात है ?"" उसने कहा, "देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिये भेड़ कहाँ है ?" 8 अब्राहम ने कहा, "हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा।" और वे दोनों संग संग आगे चलते गए।

9 जब वे उस स्थान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया था पहुँचे तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। * 10 फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने  पुत्र को बलि करे। 


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