याकूब की मृत्यु और गाड़ा जाना
28 इस्राएल के बारहों गोत्र ये ही हैं : और उनके पिता ने जिस जिस वचन से उनको आशीवाद दिया, वे ये ही हैं एक एक को उसके योग्य आशीर्वाद के अनुसार उसने आशीर्वाद दिया। 29 तब उसने यह कहकर उनको आज्ञा दी, "मैं अपने लोगों के साथ मिलने पर हूँ इसलिये मुझे हित्ती एप्रोन की भूमिवाली गुफा में मेरे बापदादों के साथ मिट्टी देना, 30 अर्थात् उसी गुफा में जो कनान देश में मम्रे के सामनेवाली मकपेला की भूमि में है; उस भूमि को अब्राहम ने हित्तो एप्रोन के हाथ से इसी लिए मोल लिया था कि वह कब्रिस्तान के लिये उसकी नजि भूमि हो। * 31 वहाँ अब्राहम और उसकी पत्नी सारा को मिट्टी दी गई थी, और वहीं इसहाक और उसकी पत्नी रिबका को भी मिट्टी दी गई, और वहीं मैं ने लिआ को भी मिट्टी दी। * 32 वह भूमि और उसमें की गुफा हित्तियों के हाथ से मोल ली गई है।" 33 याकूब जब अपने पुत्रों को यह आज्ञा दे चुका, तब अपने पाँव खाट पर समेट प्राण छोड़े, और अपने लोगों में जा मिला। *
50 तब यूसुफ अपने पिता के मुँह पर गिरकर रोया और उसे चूमा। 2 और यूसुफ ने उन वैद्यों को, जो उसके सेवक थे, आज्ञा दी कि उसके पिता के शव में सुगन्धद्रव्य भरें। तब वैद्यों ने इस्राएल के शव में सुगन्धद्रव्य भर दिए। 3 और उसके चालीस दिन पूरे हुए, क्योंकि जिनके शव में सुगन्धद्रव्य भरे जाते हैं, उनको इतने ही दिन पूरे लगते हैं : और मिस्री लोग उसके लिये सत्तर दिन तक विलाप करते रहे ।
4 जब उसके विलाप के दिन बीत गए, तब यूसुफ फ़िरौन के घराने के लोगों से कहने लगा, "यदि तुम्हारे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो तो मेरी यह विनती फ़िरौन को सुनाओ, 5 मेरे पिता ने यह कहकर, 'देख मैं मरने पर हूँ, मुझे यह शपथ खिलाई, 'जो कबर मैं ने अपने लिये कनान देश में ख़ुदवाई है उसी में तू मुझे मिट्टी देगा।' * इसलिये अब मुझे वहाँ जाकर अपने पिता को मिट्टी देने की आज्ञा दे, तत्पश्चात् मैं लौट आऊँगा ।" 6 तब फ़िरौन ने कहा, ""जाकर अपने पिता की खिलाई हुई शपथ के अनुसार उसको मिट्टी दे, holy bible hindi fast
7 इसलिये यूसुफ अपने पिता को मिट्टी देने के लिये चला, और फ़िरौन के सब कर्मचारी अर्थात् उसके भवन के पुरनिये और मिस्र देश के सब पुरनिये उसके संग चले, 8 और यूसुफ के घर के सब लोग और उसके भाई और उसके पिता के घर के सब लोग भी संग गए; पर वे अपने बाल-बच्चों, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों को गोशेन देश में छोड़ गए। 9 और उसके संग रथ और सवार गए, इस प्रकार भीड़ बहुत भारी हो गई। 10 जब वे आताद के खलिहान तक, जो यरदन नदी के पार है, पहुँचे, तब वहाँ अत्यन्त भारी विलाप किया; और यूसुफ ने अपने पिता के लिये सात दिन का विलाप कराया। 11 आताद के खलिहान में के विलाप को देखकर उस देश के निवासी कनानियों ने कहा, "यह तो मिस्त्रियों का कोई भारी विलाप होगा।" इसी कारण उस स्थान का नाम आबेलमिस्त्रम* पड़ा, और वह यरदन के पार है। 12 इस्राएल के पुत्रों ने ठीक वही काम किया, जिसकी उसने उनको आज्ञा दी थी : 13 अर्थात् उन्होंने उसको कनान देश में ले जाकर मकपेला की उस भूमिवाली गुफा में, जो मम्रे के सामने है, मिट्टी दी, जिसको अब्राहम ने हित्ती एप्रोन के हाथ से इसलिये मोल लिया था कि वह कब्रिस्तान के लिये उसकी निज भूमि हो। #Bible vachan#
यूसुफ का अपने भाइयों को आश्वासन देना
14 अपने पिता को मिट्टी देकर यूसुफ अपने भाइयों और उन सब समेत, जो उसके पिता को मिट्टी देने के लिये उसके संग गए थे, मिस्र लौट आया। 15 जब यूसुफ के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता मर गया है, तब कहने लगे, "कदाचित् यूसुफ अब हमारे पीछे पड़े, और जितनी बुराई हम ने उस से की थी सब का पूरा पलटा हम से ले।" 16 इसलिये उन्होंने यूसुफ के पास यह कहला भेजा, “तेरे पिता ने मरने से पहले हमें यह आज्ञा दी थी, 17 'तुम लोग यूसुफ से इस प्रकार कहना, कि हम विनती करते हैं कि तू अपने भाइयों के अपराध और पाप को क्षमा कर; हम ने तुझ से बुराई की थी, पर अब अपने पिता के परमेश्वर के दासों का अपराध क्षमा कर उनको ये बातें सुनकर यूसुफ रो पड़ा।
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