18 और उसके भाई आप भी जाकर उसके सामने गिर पड़े, और कहा, "देख, हम तेरे दास हैं।" 19 यूसुफ ने उनसे कहा, "मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूँ? 20 यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिससे वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। 21 इसलिये अब मत डरो; मैं तुम्हारा और तुम्हारे बाल बच्चों का पालन पोषण करता रहूँगा।" इस प्रकार उसने उनको समझा-बुझाकर शान्ति दी।
यूसुफ की मृत्यु
22 यूसुफ अपने पिता के घराने समेत मिस्र में रहता रहा, और यूसुफ एक सौ दस वर्ष जीवित रहा। 23 और यूसुफ एप्रेम के परपोतों तक को देखने पाया, और मनश्शे के पोते, जो माकोर के पुत्र थे, वे उत्पन्न हुए और यूसुफ ने उन्हें गोद में लिया।"
24 युसुफ ने अपने भाइयों से कहा मैं तो मरने पर हैं, परन्तु परमेश्वर निश्चय तुम्हारी सुधि लेगा, और तुम्हें इस देश से निकालकर उस देश में पहुंचा देगा, जिसके देने की उसने अब्राहम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाई थी।" 25 फिर यूसुफ ने इस्राएलियों से यह कहकर कि परमेश्वर निश्चय तुम्हारी सुधि लेगा, उनको इस विषय की शपथ खिलाई, "हम तेरी हड़ियों को यहाँ से उस देश में ले जाएँगे। 26 इस प्रकार यूसुफ एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया: और उसके शव में सुगन्धद्रव्य भरे गए, और वह शव मिस्र में एक सन्दूक में रखा गया। Holy Bible Hindi Fast
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