नाहोर के वंशज | सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन

11 तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, "हे अब्राहम है अब्राहम !" उसने कहा, "देख, मैं यहाँ हुॅं*।" 12 उसने कहा, "उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर; क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।"  

13 तब अब्राहम ने आँखें उठाई, और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगों से एक झाड़ी में फँसा हुआ है; अतः अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया, और अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया। * 14 अब्राहम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा। इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा।

15 फिर यहोवा के दूत ने दूसरी बार स्वर्ग से अब्राहम को पुकार के कहा, 16 "यहोवा की यह वाणी है, कि मैं अपनी ही यह शपथ खाता हूँ कि तू ने जो यह काम किया है कि अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; 17 इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूँगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान अनगिनित करूँगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा; 

18 और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी *: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है। 19 तब अब्राहम अपने सेवकों के पास लौट आया, और वे सब बेर्शेबा को संग-संग गए; और अब्राहम बेर्शेबा में रहता रहा।

नाहोर के वंशज

20 इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि अब्राहम को यह सन्देश मिला, “मिल्का के तेरे भाई नाहोर से सन्तान उत्पन्न हुई हैं।" 21 मिल्का के पुत्र तो ये हुए, अर्थात् उसका जेठा ऊस, और ऊस का भाई बृज, और कमूएल, जो अराम का पिता हुआ 22 फिर केसेंद, हजो, पिल्दाश, विलाप, और बतूएल।" 23 इन आठों को मिल्का ने अब्राहम के भाई नाहोर के द्वारा जन्म दिया। और बतएल से रिक्का उत्पन्न हुई। 24 फिर, नाहोर के रूमा नामक एक रखैल भी थी; जिस से तेवह, गहम, तहश, और माका उत्पन्न हुए।

सारा की मृत्यु और अन्तक्रिया का वर्णन

23 सारा एक सौ सत्ताईस वर्ष की अवस्था को पहुँची और जब सारा की इतनी आयु हुई, 2 तब वह किर्यतर्वा में मर गई। यह कनान देश में हैं, और हेब्रोन भी कहलाता है। इसलिये अब्राहम सारा के लिये रोने पीटने को वहाँ गया। 3 तब अब्राहम शव के पास से उठकर हित्तियों से कहने लगा, 4 "मैं तुम्हारे बीच अतिथि और परदेशी हूँ, मुझे अपने मध्य में कब्रिस्तान के लिये ऐसी भूमि दो जो मेरी निज की हो जाए कि मैं अपने मृतक को गाड़कर अपनी आँख की ओट करूँ ।"5 हित्तियों ने अब्राहम से कहा, 6 “हे हमारे प्रभु, हमारी सुन; तू तो हमारे बीच में बड़ा प्रधान है। हमारी क़ब्रों में से जिसको तू चाहे उसमें अपने मृतक को गाड़: हम में से कोई तुझे अपनी क़ब्र के लेने से न रोकेगा, कि तू अपने मृतक को उस में गाड़ने न पाए।"  

7 तब अब्राहम उठकर खड़ा हुआ, और हित्तियों के सम्मुख, जो उस देश के निवासी थे, दण्डवत् करके कहने लगा, 8 ''यदि तुम्हारी यह इच्छा हो कि मैं अपने मृतक को गाड़कर अपनी आँख की ओट करूँ, तो मेरी प्रार्थना है कि सोहर के पुत्र एप्रोन से मेरे लिये विनती करो, 9 कि वह अपनी मकपेलावाली गुफ़ा, जो उसकी भूमि की सीमा पर है, उसका पूरा दाम लेकर मुझे दे दें, कि वह तुम्हारे बीच क़ब्रिस्तान के लिये मेरी निज भूमि हो जाए।" 

10 एप्रोन तो हित्तियों के बीच वहाँ बैठा हुआ था, इसलिये जितने हित्ती उसके नगर के फाटक से होकर भीतर जाते थे, उन सभों के सामने उसने अब्राहम को उत्तर दिया, 11 "हे  मेरे प्रभु, ऐसा नहीं, मेरी सुनः वह भूमि मैं तुझे देता हूँ, और उसमें जो गुफा हैं, वह भी मैं तुझे देता हूँ; अपने जातिभाइयों के सम्मुख मैं उसे तुझ को दिए देता हूँ; अतः अपने मृतक को क़न में रख।''  




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ