14 तब अवोमेलेक ने भेड़-बकरी, गाय-बैल, और दास दासियाँ लेकर अब्राहम को दी, और उसकी पत्नी सारा को भी उसे लौटा दिया। 15 और अवीमेलेक ने कहा, "देख, मेरा देश तेरे सामने है, जहाँ तुझे भाए वहाँ रह।
16 सारा से उसने कहा, "देख, मैं ने तेरे भाई को रूपे के एक हजार टुकड़े दिए हैं। देख, तेरे सारे संगियों के सामने वही तेरी आँखों का पर्दा बनेगा, और सभों के सामने तू ठीक होगी।" 17 तब अब्राहम ने यहोवा से प्रार्थना की, और यहोवा ने अवीमेलेक, और उसकी पत्नी और दासियों को चंगा किया और वे जनने लगीं। 18 क्योंकि यहोवा ने अब्राहम की पत्नी सारा के कारण अबीमेलेक के घर की सब स्त्रियों की कोखों को पूरी रीति से बन्द कर दिया था।
इसहाक का जन्म
21 यहोवा ने जैसा कहा था वैसा ही सारा की सुधि ले के उसके साथ अपने वचन के अनुसार किया। 2 सारा अब्राहम से गर्भवती हुई; और उसके बुढ़ापे में उसी नियुक्त समय पर जो परमेश्वर ने उस से ठहराया था, एक पुत्र उत्पन्न हुआ। 3 अब्राहम ने अपने उस पुत्र का नाम जो सारा से उत्पन्न हुआ था इसहाक रखा। 4 और जब उसका पुत्र इसहाक आठ दिन का हुआ, तब उसने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उसका खतना किया। " 5 जब अब्राहम का पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ तब अब्राहम एक सौ वर्ष का था।
6 और सारा ने कहा, "परमेश्वर ने मुझे प्रफुल्लित किया है; इसलिये सब सुननेवाले भी मेरे साथ प्रफुल्लित होंगे।" 7 फिर उसने यह भी कहा, "क्या कोई कभी अब्राहम से कह सकता था कि सारा लड़कों को दूध पिलाएगी है पर देखो, मुझ से उसके बुढ़ापे में एक पुत्र उत्पन्न हुआ।" 8 वह लड़का बढ़ा और उसका दूध छुड़ाया गया, और इसहाक के दूध छुड़ाने के दिन अब्राहम ने बड़ा भोज किया।
हाजिरा और इश्माएल का निकाला जाना
9 तब सारा को मिस्री हाजिरा का पुत्र, जो अब्राहम से उत्पन्न हुआ था, हँसी करता हुआ दिखाई पड़ा। 10 इस कारण उसने अब्राहम से कहा, "इस दासी को पुत्र सहित निकाल दे; क्योंकि इस दासी का पुत्र मेरे पुत्र इसहाक के साथ भागी नहीं होगा।"* 11 यह बात अब्राहम को अपने पुत्र के कारण बहुत बुरी लगी। 12 परन्तु परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, "उस लड़के और अपनी दासी के कारण तुझे बुरा न लगे, जो बात सारा तुझ से कहे, उसे मान, क्योंकि जो तेरा वंश कहलाएगा वह इसहाक ही से चलेगा।* 13 दासी के पुत्र से भी मैं एक जाति उत्पन्न करूँगा, इसलिये कि वह तेरा वंश है।
14 इसलिये अब्राहम ने सबेरे तड़के उठकर रोटी और पानी से भरी चमड़े की थैली भी हाजिरा को दी, और उसके कन्धे पर रखी, और उसके लड़के को भी उसे देकर उसको विदा किया। वह चली गई, और बेर्शेबा के जंगल में भटकने लगी। • 15 जब थैली का जल समाप्त हो गया, तब उसने लड़के को एक झाड़ी के नीचे छोड़ दिया। 16 और आप उस से तीर भर के टप्पे पर दूर जाकर उसके सामने यह सोचकर बैठ गई, "मुझ को लड़के की मृत्यु देखनी न पड़े। तब वह उसके सामने बैठी हुई चिल्ला चिल्ला के रोने लगी।
17 परमेश्वर ने उस लड़के की सुनी और उसके दूत ने स्वर्ग से हाजिरा को पुकार के कहा, "हे हाजिरा, तुझे क्या हुआ ? मत डर, क्योंकि जहाँ तेरा लड़का है वहाँ से उसकी आवाज परमेश्वर को सुन पड़ी है। 18 उठ, अपने लड़के को उठा और अपने हाथ से सम्भाल; क्योंकि मैं उसके द्वारा एक बड़ी जाति बनाऊँगा। तब परमेश्वर ने उसकी आँखें खोल दीं, और उसको एक कुआँ दिखाई पड़ा तब उसने जाकर थैली को जल से भरकर लड़के को पिलाया। 20 और परमेश्वर उस लड़के के साथ रहा; और जब वह बड़ा हुआ, तब जंगल में रहते रहते धनुर्धारी बन गया।
0 टिप्पणियाँ