लूत का सदोम से निकलना | सदोम और अमोरा का विनाश | today bible bachn

11 और उन्होंने क्या छोटे, क्या बड़े, सब पुरुषों को जो घर के द्वार पर थे, अन्धा कर दिया, अतः वे द्वार को टटोलते टटोलते थक गए।

लूत का सदोम से निकलना


12 फिर उन अतिथियों ने लूत से पूछा, "यहाँ तेरा और कौन कौन है ? दामाद, बेटे, बेटियाँ, और नगर में तेरा जो कोई हो, उन सभों को लेकर इस स्थान से निकल जा । 13 क्योंकि हम यह स्थान नष्ट करने पर हैं, इसलिये कि इसकी चिल्लाहट यहोवा के सम्मुख बढ़ गई है; और यहोवा ने हमें इसका सत्यानाश करने के लिये भेजा है।" 14 तब लूत ने निकलकर अपने दामादों को, जिनके साथ उसकी बेटियों की सगाई हो गई थी, समझा के कहा, "उठो, इस स्थान से निकल चलो; क्योंकि यहोवा इस नगर को नष्ट करने पर है।" पर वह अपने दामादों की दृष्टि में ठट्ठा करनेवाला जान पड़ा।

15 जब पौ फटने लगी, तब दूतों ने लूत से जल्दी करने को कहा और बोले, "उठ, अपनी पत्नी और दोनों बेटियों को जो यहाँ हैं ले जा; नहीं तो तू भी इस नगर के अधर्म में भस्म हो जाएगा।" 16 पर वह विलम्ब करता रहा; इस पर उन पुरुषों ने उसका और उसकी पत्नी, और दोनों बेटियों के हाथ पकड़े, क्योंकि यहोवा की दया उस पर थी; और उनको निकालकर नगर के बाहर कर दिया। * 17 और ऐसा हुआ कि जब उन्होंने उनको बाहर निकाला, तब कहा, “अपना प्राण लेकर भाग जा; पीछे की ओर न ताकना, और तराई भर में न ठहरना, उस पहाड़ पर भाग जाना, नहीं तो तू भी भस्म हो जाएगा।"  

18 लूत ने उनसे कहा, "हे प्रभु, ऐसा न कर! 19 देख, तेरे दास पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि हुई है, और तू ने इस में बड़ी कृपा दिखाई कि मेरे प्राण को बचाया है; पर मैं पहाड़ पर भाग नहीं सकता, कहीं ऐसा न हो कि कोई विपत्ति मुझ पर आ पड़े, और मैं मर जाऊँ। 20 देख, वह नगर ऐसा निकट है कि मैं वहाँ भाग सकता हूँ, और वह छोटा भी है। मुझे वहीं भाग जाने दे, क्या वह नगर छोटा नहीं है ? और मेरा प्राण बच जाएगा।" 21 उसने उससे कहा, "देख, मैं ने इस विषय में भी तेरी विनती स्वीकार की है, कि जिस नगर की चर्चा तू ने की है, उसको मैं नष्ट न करूँगा। 22 फुर्ती से वहाँ भाग जा; क्योंकि जब तक तू वहाँ न पहुँचे, तब तक मैं कुछ न कर सकूँगा।" इसी कारण उस नगर का नाम सोअर है पड़ा।

सदोम और अमोरा का विनाश

23 लूत के सोअर के निकट पहुँचते ही सूर्य पृथ्वी पर उदय हुआ। 24 तब यहोवा ने अपनी ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से गन्धक और आग बरसाई, 25 और उन नगरों को और उस सम्पूर्ण तराई को, और नगरों के सब निवासियों को, भूमि की सारी उपज समेत नष्ट कर दिया। 26 लूत की पत्नी ने जो उसके पीछे थी दृष्टि फेर के पीछे की ओर देखा, और वह नमक का खम्भा बन गई। *

27 भोर को अब्राहम उठकर उस स्थान को गया, जहाँ वह यहोवा के सम्मुख खड़ा था, 28 और सदोम, और अमोरा, और उस तराई के सारे देश की ओर आँख उठाकर क्या देखा कि उस देश में से धधकती हुई भट्ठी का सा धूआँ उठ रहा है। 29 और ऐसा हुआ कि जब परमेश्वर ने उस तराई के नगरों को, जिनमें लूत रहता था, उलट-पुलट कर नष्ट किया, तब उसने अब्राहम को याद करके लूत को उस घटना से बचा लिया।

मोआबियों और अम्मोनियों की उत्पत्ति

30 फिर लूत ने सोअर को छोड़ दिया, और पहाड़ पर अपनी दोनों बेटियों समेत रहने लगा; 'क्योंकि वह सोअर में रहने से डरता था; इसलिये  वह और उसकी दोनों बेटियाँ वहाँ एक गुफा में रहने लगे।  

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