यूसुफ के भाइयों का कनान लौटना होगा। | हिंदी पवित्रे बाईबल बच्चन | holy hindi bible

14 तब यूसुफ ने उनसे कहा, *"मैं ने तुम से कह दिया कि तुम भेदिए हो; 15 अतः इसी रीति से तुम परखे जाओगे, फ़िरौन के जीवन की शपथ, जब तक तुम्हारा छोटा भाई यहाँ न आए तब तक तुम यहाँ से न निकलने पाओगे । 16 इसलिये अपने में से एक को भेज दो कि वह तुम्हारे भाई को ले आए, और तुम लोग बन्दी रहोगे; इस प्रकार तुम्हारी बातें परखी जाएँगी कि तुम में सच्चाई है कि नहीं। यदि सच्चे न ठहरे तब तो फिरौन के जीवन की शपथ तुम निश्चय ही भेदिए समझे जाओगे।" 17 तब उसने उनको तीन दिन तक बन्दीगृह में रखा।

18 तीसरे दिन यूसुफ ने उनसे कहा, "एक काम करो तब जीवित रहोगे; क्योंकि मैं परमेश्वर का भय मानता हूँ : 19 यदि तुम सोधे मनुष्य हो, तो तुम सब भाइयों में से एक जन इस बन्दीगृह में बँधुआ रहे; और तुम अपने घरवालों की भूख मिटाने के लिये अन्न ले जाओ, 20 और अपने छोटे भाई को मेरे पास ले आओ; इस प्रकार तुम्हारी बातें सच्ची ठहरेंगी, और तुम मार डाले न जाओगे।' तब उन्होंने वैसा ही किया।  

21 उन्होंने आपस में कहा, "निःसन्देह हम अपने भाई के विषय में दोषी हैं, क्योंकि जब उसने हम से गिड़गिड़ाकर विनती की, तब भी हम ने यह देखकर कि उसका जीवन कैसे संकट में पड़ा है, उसकी न सुनी; इसी कारण हम भी अब इस संकट में पड़े हैं।" 22 रूबेन ने उनसे कहा, ‘"क्या मैं ने तुम से न कहा था कि लड़के के अपराधी मत बनी ?* परन्तु तुम ने न सुना। देखो, अब उसके लहू का पलटा लिया जाता है।" 23 यूसुफ की और उनकी बातचीत एक दुभाषिया के द्वारा होती थी, इससे उनको मालूम न हुआ कि वह उनकी बोली समझता है। 24 तब वह उनके पास से हटकर रोने लगा, फिर उनके पास लौटकर और उनसे बातचीत करके उनमें से शिमोन की छाँट निकाला और उनके सामने उसे बन्दी बना लिया। 

यूसुफ के भाइयों का कनान लौटना

यूसुफ के भाइयों का कनान लौटना

25 तब यूसुफ ने आज्ञा दी कि उनके बोरे अन्न से भरो और एक एक जन के बोरे में उसके रुपये को भी रख दो फिर उनको मार्ग के लिये भोजनवस्तु दो । अतः उनके साथ ऐसा ही किया गया। 26 तब वे अपना अन्न अपने गदहों पर लादकर वहाँ से चल दिए। 27 सराय में जब एक ने अपने गदहे को चारा देने के लिये अपना बोरा खोला, तब उसका रुपया बोरे के मुँह पर रखा हुआ दिखलाई पड़ा। 

28 तब उसने अपने भाइयों से कहा, "मेरा रुपया तो लौटा दिया गया है, देखो, वह मेरे बोरे में है, तब उनके जी में जी न रहा, और वे एक दूसरे की ओर भय से ताकने लगे, और बोले, "परमेश्वर ने यह हम से क्या किया है।" 29 तब वे कनान देश में अपने पिता याकूब के पास आए, और अपना सारा वृत्तान्त उसे इस प्रकार सुनाया 30 "जो पुरुष उस देश का स्वामी है, उसने हम से कठोरता के साथ बातें की, और हम को देश के भेदिए कहा।  

31 तब हम ने उससे कहा, 'हम सीधे लोग हैं, भेदिए नहीं। 32 हम बारह भाई एक ही पिता के पुत्र हैं; एक तो जाता रहा, परन्तु छोटा इस समय कनान देश में हमारे पिता के पास है। 33 तब उस पुरुष ने, जो उस देश का स्वामी है, हम से कहा, 'इस से मालूम हो जाएगा कि तुम सीधे मनुष्य हो; तुम अपने में से एक को मेरे पास छोड़ के अपने घरवालों की भूख मिटाने के लिये कुछ ले जाओ, 34 और अपने छोटे भाई को मेरे पास ले आओ। तब मुझे विश्वास हो जाएगा कि तुम भेदिए नहीं, सीधे लोग हो। फिर मैं तुम्हारे भाई को तुम्हें सौंप दूंगा, और तुम इस देश में लेन देन कर सकोगे ।"

35 यह कहकर वे अपने अपने बोरे से अन निकालने लगे, तब क्या देखा कि एक एक जन के रुपये की थैली उसी के बोरे में रखी है। तब रुपये की थैलियों को देखकर वे और उनका पिता बहुत डर गए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ