40 एसाववंशियों के अधिपतियों के कुलों और स्थानों के अनुसार उनके नाम ये हैं : तिम्ना अधिपति, अल्या अधिपति, यतेत अधिपति, 41 जोहोलीबामा अधिपति, एला अधिपति, पीनोन अधिपति, 42 कनज अधिपति, तेमान अधिपति, मिबसार अधिपति, 43 मग्दीएल अधिपति, ईराम अधिपति एदोमवंशियों ने जो देश अपना कर लिया था, उसके निवासस्थानों में उनके ये ही अधिपति हुए; एदोमी जाति का मूलपुरुष एसाव है।
यूसुफ और उसके भाई
37 याकूब तो कनान देश में रहता था, जहाँ उसका पिता परदेशी होकर रहा था। 2 याकूब के वंश का वृत्तान्त यह है : यूसुफ सत्रह वर्ष का होकर अपने भाइयों के संग भेड़-बकरियों को चराता था, और वह लड़का अपने पिता की पत्नी बिल्हा और जिल्पा के पुत्रों के संग रहा करता था और उनकी बुराइयों का समाचार अपने पिता के पास पहुँचाया करता था। 3 इस्राएल अपने सब पुत्रों से बढ़ के यूसुफ से प्रीति रखता था, क्योंकि वह उसके बुढ़ापे का पुत्र था और उसने उसके लिये एक रंगबिरंगा अंगरखा बनवाया। 4 परन्तु जब उसके भाइयों ने देखा कि हमारा पिता हम सब भाइयों से अधिक उसी से प्रीति रखता है, तब वे उससे बैर करने लगे और उसके साथ ठीक से बात भी नहीं करते थे।
5 यूसुफ ने एक स्वप्न देखा, और अपने भाइयों से उसका वर्णन किया; तब वे उससे और भी द्वेष करने लगे। 6 उसने उनसे कहा, "जो स्वप्न में ने देखा है, उसे सुनो : 7 हम लोग खेत में पूले बाँध रहे हैं, और क्या देखता हूँ कि मेरा पूला उठकर सीधा खड़ा हो गया, तब तुम्हारे पूलों में ने देखा है, उसे सुनो : 7 हम लोग खेत में पूले बाँध रहे हैं, और क्या देखता हूँ कि मेरा पूला उठकर सीधा खड़ा हो गया, तब तुम्हारे पूलों में मेरे पूले को चारों तरफ से घेर लिया और उसे दण्डवत किया।" 8 तब उसके भाइयों ने उससे कहा. "क्या सचमुच तू हमारे ऊपर राज्य करेगा ? त्या क्या सचमुच तू हम पर प्रभुता करेगा इसलिये वे उसके स्वप्नों और उसकी बातों के कारण उससे और भी अधिक बैर करने लगे।
9 फिर उसने एक और स्वप्न देखा, और अपने भाइयों से उसका भी यो वर्णन किया, "सुनो, मैंने एक और स्वप्न देखा है, कि सूर्य और चन्द्रमा और ग्यारह तारे मुझे दण्डवत कर रहे हैं।" 10 इस स्वप्न का उसने अपने पिता और भाइयों से वर्णन किया तब उसके पिता ने उसको डाँट कर कहा, "यह कैसा स्वप्न है जो तू ने देखा है? क्या सचमुच मैं और तेरी माता और तेरे भाई सब जाकर तेरे आगे भूमि पर गिरके दण्डवत् करेंगे 11 उसके भाई उससे डाह करते थे पर उसके पिता ने उसके उस वचन को स्मरण रखा।
यूसुफ का बेचा जाना
12 उसके भाई अपने पिता को भेड़-बकरियों को चराने के लिये शकेम को गए। 13 तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, "तिरे भाई शकेम हो में भेड़- बकरी चरा रहे होंगे। इसलिये जा. मैं तुझे उनके पास भेजता हूँ।" उसने उससे कहा, "जो आज्ञा मैं हाजिर हूँ।" 14 उसने उससे कहा, "जा, अपने भाइयों और भेड़ बकरियों का हाल देख आ कि वे कुशल से तो हैं, फिर मेरे पास समाचार ले आ।" अतः उसने उसको हेब्रोन की तराई में विदा कर दिया, और वह शकेम में आया।
15 और एक मनुष्य ने उसको मैदान में इधर- उधर भटकते हुए पाकर उससे पूछा, "तू क्या ढूँढ़ता है?" 16 उसने कहा, "मैं अपने भाइयों को ढूँढता हूँ। कृपया मुझे बता कि वे भेड़- बकरियों को कहाँ चरा रहे हैं. 17 उस मनुष्य ने कहा, "वे यहाँ से चले गए हैं; और मैं ने उनको यह कहते सुना, 'आओ, हम दोतान को चले। इसलिये यूसुफ अपने भाइयों के पीछे।को ढूँढता हूँ। कृपया मुझे बता कि वे भेड़- बकरियों को कहाँ चरा रहे हैं. 17 उस मनुष्य ने कहा, "वे यहाँ से चले गए हैं; और मैं ने उनको यह कहते सुना, 'आओ, हम दोतान को चले। इसलिये यूसुफ अपने भाइयों के पीछे चला, और उन्हें दोतान में पाया।
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