11 इसलिये अबोमेलेक ने अपनी सारी प्रजा को आज्ञा दी, ""जो कोई उस पुरुष को या उस स्त्री को छूएगा, वह निश्चय मार डाला जाएगा।"
12 फिर इसहाक ने उस देश में जोता बोया, और उसी वर्ष में सौ गुणा फल पाया; और यहोवा ने उसको आशीष दी, 13 और वह बढ़ा और उसकी उन्नति होती चली गई, यहाँ तक कि वह अति महान् पुरुष हो गया। 14 जब उसके भेड़- बकरी, गाय-बैल, और बहुत से दास-दासियाँ हुई, तब पलिश्ती उससे डाह करने लगे। 15 इसलिये जितने कुओं को उसके पिता अब्राहम के दासों ने अब्राहम के जीते जी खोदा था, उनको पलिश्तियों ने मिट्टी से भर दिया।
16 तब अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, "हमारे पास से चला जा; क्योंकि तू हम से बहुत सामर्थी हो गया है।" 17 अतः इसहाक वहाँ से चला गया, और गरार की घाटी में अपना तम्बू खड़ा करके वहाँ रहने लगा। 18 तब जो कुएँ उसके पिता अब्राहम के दिनों में खोदे गए थे, और अब्राहम के मरने 'के बाद पलिश्तियों ने भर दिए थे, उनको इसहाक ने फिर से खुदवाया; और उनके वे ही नाम रखे, जो उसके पिता ने रखे थे।
19 फिर इसहाक के दासों को घाटी में खोदते खोदते बहते जल का एक सोता मिला। 20 तब गरार के चरवाहों ने इसहाक के चरवाहों से झगड़ा किया और कहा, ““यह जल हमारा है ।” इसलिये उसने उस कुएँ का नाम एसेक" रखा, क्योंकि वे उससे झगड़े थे।
21 फिर उन्होंने दूसरा कुआँ खोदा, और उन्होंने उसके लिये भी झगड़ा किया; इसलिये उसने उसका नाम सिला* रखा। 22 तब उसने वहाँ से निकल कर एक और कुआँ खुदवाया; और उसके लिये उन्होंने झगड़ा न किया; इसलिये उसने उसका नाम यह कहकर रहोबोत' रखा, “अब तो यहोवा ने हमारे लिये बहुत स्थान दिया हैं, और हम इस देश में फूले-फलेंगे।" 23 वहाँ से वह बेर्शेबा को गया। holy bible hindi fast
24 और उसी दिन यहोवा ने रात को उसे दर्शन देकर कहा, "मैं तेरे पिता अब्राहम का परमेश्वर हैं; मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ, और अपने दास अब्राहम के कारण तुझे आशीष दूंगा, और तेरा वंश बढ़ाऊँगा।" 25 तब उसने वहाँ एक वेदी बनाई, और यहोवा से प्रार्थना की, और अपना तम्बू वहीं खड़ा किया; और वहाँ इसहाक के दासों ने एक कुआँ खोदा।
इसहाक और अबीमेलेक के बीच सन्धि
26 तब अबीमेलेक अपने मंत्री अहुज्जत और अपने सेनापति पीकोल को संग लेकर, गरार से उसके पास गया। 27 इसहाक ने उनसे कहा, "तुम ने मुझ से बैर करके अपने बीच से निकाल दिया था, अब मेरे पास क्यों आए हो ?" 28 उन्होंने कहा, "हम ने तो प्रत्यक्ष देखा है कि यहोवा तेरे साथ रहता है; इसलिये हम ने सोचा कि तू तो यहोवा की ओर से धन्य है, अतः हमारे तेरे बीच में शपथ खाई जाए, और हम तुझ से इस विषय की वाचा बन्धाएँ, 29 कि जैसे हम ने तुझे नहीं छुआ, वरन् तेरे साथ केवल भलाई ही की है, और तुझ को कुशल क्षेम से विदा किया, उसके अनुसार तू भी हम से कोई बुराई न करेगा।" 30 तब उसने उनको भोज दिया और उन्होंने खाया पिया।
31 सबेरे उन सभों ने तड़के उठकर आपस में शपथ खाई; तब इसहाक ने उनको विदा किया, और वे कुशल क्षेम से उसके पास से चले गए। 32 उसी दिन इसहाक के दासों ने आकर अपने उस खोदे हुए कुएँ का वृतान्त सुना के कहा, "हम को जल का एक सोता मिला है।" 33 तब उसने उसका नाम शिवा रखा; इसी कारण उस नगर का नाम आज तक बेर्शेबा पड़ा है।
0 टिप्पणियाँ