यूसुफ और पोतीपर की पत्नी के बारे में जानिए | बाइबल वचन पुराना नियम उत्पति

Holy Bible Hindi Fast

27 जब उसके जनने का समय आया, तब यह जान पड़ा कि उसके गर्भ में जुड़वे बच्चे हैं। 28 और जब वह जनने लगी तब एक बालक का हाथ बाहर आया, और धाय ने लाल सूत लेकर उसके हाथ में यह कहते हुए बाँध दिया, "पहले यही उत्पन्न हुआ।" 29 जब उसने हाथ समेट लिया, तब उसका भाई उत्पन्न हो गया। तब उस धाय ने कहा, "तू क्यों बरबस निकल आया है ?" इसलिये उसका नाम पैरेस' रखा गया। 30 पीछे उसका भाई जिसके हाथ में लाल सूत बन्धा था उत्पन्न हुआ, और उसका नाम जेरह * रखा गया।

यूसुफ और पोतीपर की पत्नी

यूसुफ और पोतीपर की पत्नी के बारे में जानिए | बाइबल वचन पुराना नियम उत्पति


39 जब यूसुफ मिस्र में पहुँचाया गया, तब पोतीपर नामक एक मिस्री ने जो फिरौन का हाकिम और अंगरक्षकों का प्रधान था, उसको इश्माएलियों के हाथ से, जो उसे वहाँ ले गए थे, मोल लिया। 2 यूसुफ अपने मित्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था इसलिये वह भाग्यवान् पुरुष हो गया, 3 और यूसुफ के स्वामी ने देखा कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है।  

4 तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया; फिर उसने उसको अपने घर का अधिकारी बनाके अपना सब कुछ उसके हाथ में साँप दिया। 5 जब से उसने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था सब पर यहोवा की आशीष होने लगी। 

6 इसलिये उसने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहाँ तक छोड़ दिया कि अपने खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। यूसुफ सुन्दर और रूपवान् था 7 इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ की ओर आँख लगाई और कहा, "मेरे साथ सो।" 8 पर उसने अस्वीकार करते हुए अपने स्वामी की पत्नी से कहा, "सुन, जो कुछ इस घर में है मेरे हाथ में है; उसे मेरा स्वामी कुछ नहीं जानता, और उसने अपना सब कुछ मेरे हाथ में सौंप दिया है। 

9 इस घर में मुझ से बड़ा कोई नहीं, और उसने तुझे छोड़, जो उसकी पत्नी है, मुझ से कुछ नहीं रख छोड़ा, इसलिये भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्यों बनूँ ?" 10 और ऐसा हुआ कि वह प्रतिदिन यूसुफ से बातें करती रही, पर उसने उसकी न मानी कि उसके पास लेटे या उसके संग रहे। 11 एक दिन क्या हुआ कि यूसुफ अपना कामकाज करने के लिये घर में गया, और घर के सेवकों में से कोई भी घर के अन्दर न था।  

12 तब उस स्त्री ने उसका वस्त्र पकड़कर कहा, ""मेरे साथ सो, " पर वह अपना वस्त्र उसके हाथ में छोड़कर भागा और बाहर निकल गया। 13 यह देखकर कि वह अपना वस्त्र मेरे हाथ में छोड़कर बाहर भाग गया, 14 उस स्त्री ने अपने घर के सेवकों को बुलाकर कहा, "देखो, वह एक इबी मनुष्य को हमारा तिरस्कार करने के लिये हमारे पास ले आया है। वह तो मेरे साथ सोने के मतलब से मेरे पास अन्दर आया था, और मैं ऊँचे स्वर से चिल्ला उठी; 15 और मेरी बड़ी चिल्लाहट सुनकर वह अपना वस्त्र मेरे पास छोड़कर भागा, और बाहर निकल गया।" 

16 और वह उसका वस्त्र उसके स्वामी के घर आने तक अपने पास रखे रही। 17 तब उसने उससे इस प्रकार की बातें कहीं, "वह इब्री दास जिसको तू हमारे पास ले आया है, वह मुझ से हँसी करने के लिये मेरे पास आया था; 18 और जब मैं ऊँचे स्वर से चिल्ला उठी, तब वह अपना वस्त्र मेरे पास छोड़कर बाहर भाग गया।" 19 अपनी पत्नी की ये बातें सुनकर कि तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम किया, यूसुफ के स्वामी का कोप भड़का। 20 और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में, जहाँ राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया; अतः वह उस बन्दीगृह में रहा।

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