यहूदा और तामार के बारे में जानिए 2.
6 और यहूदा नेतामार नाम की एक स्त्री से अपने जेठे एर का विवाह कर दिया। 7 परन्तु यहूदा का वह जेठा एर यहोवा के लेखे में दुष्ट था, इसलिये यहोवा ने उसको मार डाला। 8 तब यहूदा ने ओनान से कहा, "अपनी भौजाई के पास जा, और उसके साथ देवर का धर्म पूरा करके अपने भाई के लिये "सन्तान उत्पन्न कर।""
यहूदा और तामार के बारे में जानिए |
9 ओनान जानता था कि सन्तान मेरी न ठहरेगी; इसलिये ऐसा हुआ कि जब वह अपनी भौजाई के पास गया, तब उसने भूमि पर वीर्य गिराकर नाश किया, जिससे ऐसा न हो कि उसके भाई के नाम से वंश चले। 10 यह काम जो उसने किया उससे यहोवा अप्रसन्न हुआ; और उसने उसको भी मार डाला । 11 तब यहूदा ने इस डर के मारे कि कहीं ऐसा न हो कि अपने भाइयों के समान शेला भी मरे, अपनी बहू तामार से कहा, "जब तक मेरा पुत्र शेला सियाना न हो जाए तब तक अपने पिता के घर में विधवा ही बैठी रह । इसलिये तामार अपने पिता के घर में जाकर रहने लगी।
12 बहुत समय के बीतने पर यहूदा की पत्नी जो शुआ की बेटी थी, वह मर गई; फिर यहूदा शोक के दिन बीतने पर अपने मित्र हीरा अदुल्लामवासी समेत अपनी भेड़-बकरियों का ऊन कतरनेवालों के पास तिम्नाथ को गया । 13 और तामार को यह समाचार मिला, ''तेरा ससुर अपनी भेड़-बकरियों का ऊन कतराने के लिये तिम्नाथ को जा रहा है।" 14 तब उसने यह सोचकर कि शेला सियाना तो हो गया पर मैं उसकी स्त्री नहीं होने पाई; अपना विधवापन का पहिरावा उतारा और घूँघट डालकर अपने को ढाँप लिया, और एनॅम नगर के फाटक के पास, जो तिम्नाथ के मार्ग में है, जा बैठी।
15 जब यहूदा ने उसको देखा, उसने उसको वेश्या समझा; क्योंकि वह अपना मुँह ढाँपे हुए थी। 16 वह मार्ग से उसकी ओर फिरा, और उससे कहने लगा, 'मुझे अपने पास आने दे," (क्योंकि उसे यह मालूम न था कि वह उसकी बहू है।) उसने कहा, "यदि मैं तुझे अपने पास आने दूँ, तो तू मुझे क्या देगा ?" 17 उसने कहा, "मैं अपनी बकरियों में से बकरी का एक बच्चा तेरे पास भेज दूँगा।" तब उसने कहा, "भला उसके भेजने तक क्या तू हमारे पास कुछ रेहन रख जाएगा
18 उसने पूछा, "मैं तेरे पास क्या रेहन रख "जाऊँ?" उसने कहा, "अपनी मुहर, और बाजूबन्द, और अपने हाथ की छड़ी।" तब उसने उसको वे वस्तुएँ दे दीं, और उसके पास गया, और वह उससे गर्भवती हुई। 19 तब वह उठकर चली गई, और अपना घूँघट उतार के अपना विधवापन का पहिरावा फिर पहिन लिया।
20 तब यहूदा ने बकरी का एक बच्चा अपने मित्र उस अदुल्लामवासी के हाथ भेज दिया कि वह रेहन रखी हुई वस्तुएँ उस स्त्री के हाथ से छुड़ा ले आए पर वह स्त्री उसको न मिली। 21 तब उसने वहाँ के लोगों से पूछा, "वह देवदासी जो एनैम में मार्ग की एक ओर बैठी थी, कहाँ है ?" उन्होंने कहा, "यहाँ तो कोई देवदासी न थी।
22 इसलिये उसने यहूदा के पास लौट के कहा, "मुझे वह नहीं मिली और उस स्थान के लोगों ने कहा, 'यहाँ तो कोई देवदासी न थी। 23 तब यहूदा ने कहा, "अच्छा, वह बन्धक उसी के पास रहने दे, नहीं तो हम लोग तुच्छ गिने जाएँगे; देख, मैं ने बकरी का यह बच्चा भेज दिया था, पर वह तुझे नहीं मिली।" 24 लगभग तीन महीने के बाद यहूदा को यह समाचार मिला, "तेरी बहु तामार ने व्यभिचार किया है; वरन् वह व्यभिचार से गर्भवती भी हो गई है।" तब यहूदा ने कहा, "उसको बाहर ले आओ कि वह जलाई जाए।"
25 जब उसे बाहर निकाला जा रहा था तब उसने अपने ससुर के पास यह कहला भेजा, "जिस पुरुष की ये वस्तुएँ हैं, उसी से मैं गर्भवती हूँ," फिर उसने यह भी कहलाया, "पहिचान तो सही कि यह मुहर, और बाजूबन्द, और छड़ी किसकी हैं। 26 यहूदा ने उन्हें पहिचानकर कहा, "वह तो मुझ से कम दोषी है, क्योंकि मैं ने उसका अपने पुत्र शेला से विवाह न किया।" और उसने उससे फिर कभी प्रसंग न किया।
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