25 तब यूसुफ ने फिरौन से कहा, "फिरौन का स्वप्न एक ही है, परमेश्वर जो काम करना चाहता है, उसको उसने फिरौन पर प्रगट किया है। 26 वे सात अच्छी अच्छी गायें सात वर्ष हैं, और वे सात अच्छी अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; स्वप्न एक ही है।
27 फिर उनके पीछे जो दुर्बल और कुडौल गायें निकलीं, और जो सात छूछी और पुरवाई से मुरझाई हुई बालें निकालीं, वे अकाल के सात वर्ष होंगे।
28 यह वही बात है जो मैं फिरौन से कह चुका हूँ कि परमेश्वर जो काम करना चाहता है, उसे उसने फ़िसैन को दिखाया है। 29 सुन, सारे मिस्र देश में सात वर्ष तो बहुतायत की उपज के होंगे। 30 उनके पश्चात् सात वर्ष अकाल के आयेंगे, और सारे मिस्र देश में लोग इस सारी उपज को भूल जायेंगे, और अकाल से देश का नाश होगा। 31 और सुकाल ( बहुतायत की उपज ) देश में फिर स्मरण न रहेगा, क्योंकि अकाल अत्यन्त भयंकर होगा।
32 और फ़िरौन ने जो यह स्वप्न दो बार देखा है इसका भेद यही है कि यह बात परमेश्वर की और से नियुक्त हो चुकी है, और परमेश्वर इसे शीघ्र ही पूरा करेगा। 33 इसलिये अब फिरौन किसी समझदार और बुद्धिमान् पुरुष को ढूँढ़ कर के उसे मिस्र देश पर प्रधान मंत्री ठहराए।
34 फिरौन यह करे कि देश पर अधिकारियों को नियुक्त करे, और जब तक सुकाल के सात वर्ष रहें तब तक वह मिस्र देश की उपज का पंचमांश लिया करे। 35 और वे इन अच्छे वर्षों में सब प्रकार की भोजनवस्तु इकट्ठा करें, और नगर नगर प्र भण्डार घर भोजन के लिये, फिरौन के वश में करके उसकी रक्षा करें। 36 वह भोजनवस्तु अकाल के उन सात वर्षों के लिये, जो मित्र देश में आएँगे, देश के भोजन के लिए रखी रहे, जिससे देश का उस अकाल से सत्यानाश न हो जाए।
यूसुफ का प्रधान मंत्री बनाया जाना
37 वह बात फ़िरौन और उसके सारे कर्म- चारियों को अच्छी लगी। 38 इसलिये फ़िरौन ने अपने कर्मचारियों से कहा, "क्या हम को ऐसा पुरुष, जैसा यह है जिसमें परमेश्वर का आत्मा रहता है, मिल सकता है ? 39 फिर फिरौन ने यूसुफ से कहा, “परमेश्वर ने जो तुझे इतना ज्ञान दिया है कि तेरे तुल्य कोई समझदार और बुद्धिमान नहीं, 40 इस कारण तू मेरे घर का अधिकारी होगा, और तेरी आज्ञा के अनुसार मेरी सारी प्रजा चलेगी, केवल राजगद्दी के विषय मैं तुझ से बड़ा ठहरूंगा।*"
41 फिर फिरौन ने यूसुफ से कहा, "सुन, मैं तुझ को मिस्र के सारे देश के ऊपर अधिकारी ठहरा देता हूँ।" 42 तब फिरौन ने अपने हाथ से अँगूठी निकालके यूसुफ के हाथ में पहिना दी और उसको बढ़िया मलमल के वस्त्र पहिनवा दिया, और उसके गले में सोने की जंजीर डाल दी 43 और उसको अपने दूसरे रथ पर चढ़वाया, और लोग उसके आगे आगे यह प्रचार करते चले कि घुटने टेककर दण्डवत् करो, और उसने उसको मिस्र के सारे देश के ऊपर प्रधान मंत्री ठहराया।
44 फिर फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, "फिरौन तो मैं हूँ; पर सारे मिस्र देश में कोई भी तेरी आज्ञा के बिना हाथ- पाँव न हिलाएगा।" 45 तब फिरौन ने यसफ का नाम सामनत्पानेह रखा; और ओन नगर के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से उसका विवाह करा दिया। और यूसुफ सारे मिस्र देश में दौरा करने लगा। 46 जब यूसुफ मिस्र के राजा फिरौन के सम्मुख खड़ा हुआ, तब वह तीस वर्ष का था। वह फ़िरौन के सम्मुख से निकलकर सारे मिस्र देश में दौरा करने लगा।
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