12 फिर उस ने सात दिन और ठहरकर उसी कबूतरों को उड़ा दिया और वह उसके पास फिर कभी लौटकर नहीं आई। 13 नूह की आयु के छः सौ एक वर्ष के पहले महीने के पहले दिन जल पृथ्वी पर से सूख गया। तब नूह ने जहाज की छत खोलकर क्या देखा कि धरतो सूख गई हैं।
14 और दूसरे महीने के सत्ताईसवें दिन को पृथ्वी पूरी रीति से सूख गई। 15 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, 16 "तू अपने पुत्रों, पत्नी, और बहुओं समेत जहाज में से निकल आ।
17 क्या पक्षी, क्या पशु, क्या सब भाँति के रेंगनेवाले जन्तु जो पृथ्वी पर रेंगते हैं- जितने शरीरधारी जीवजन्तु तेरे संग हैं, उन सब को अपने साथ निकाल ले आ कि पृथ्वी पर उनसे बहुत बच्चे उत्पन्न हों; और वे फूले-फलें, और पृथ्वी पर फैल जाएँ।"
18 तब नूह और उसके पुत्र और पत्नी, और बहुएँ निकल आई : 19 और सब चौपाए, रेंगनेवाले जन्तु और पक्षी, और जितने जीवजन्तु पृथ्वी पर चलते फिरते हैं, सब जाति जाति करके जहाज में से निकल आए।
होमबलि का चढ़ाया जाना
20 तब नूह ने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई, और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ कुछ लेकर वेदी पर होमबलि चढ़ाया।
21 इस पर यहोवा ने सुखदायक सुगन्ध पाकर सोचा, "मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को शाप न दूँगा, यद्यपि मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्न होता है वह बुरा ही होता है; तौभी जैसा मैं ने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारूँगा।
22 अब से जब तक पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक बोने और काटने के समय, ठण्ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दिन और रात निरन्तर होते चले जाएँगे।"
परमेश्वर का नूह के साथ वाचा बाँधना
9 फिर परमेश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी और उनसे कहा, "फूलो-फलो और बढ़ो, और पृथ्वी में भर जाओ।" 2 तुम्हारा डर और भय पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और भूमि पर के सब रेंगनेवाले जन्तुओं, और समुद्र की सब मछलियों पर बना रहेगा : ये सब तुम्हारे वश में कर दिए जाते हैं।
3 सब चलनेवाले जन्तु तुम्हारा आहार होंगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दिए थे, वैसा ही अब सब कुछ देता हूँ। 4 पर मांस को प्राण समेत अर्थात् लहू समेत तुम न खाना। * 5 और निश्चय ही मैं तुम्हारे लहू अर्थात् प्राण का बदला लूंगा : सब पशुओं और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूँगा; मनुष्य के प्राण का बदला मैं एक एक के भाई बन्धु से लूँगा।
6 जो कोई मनुष्य का लहू बहाएगा उसका लहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा, क्योंकि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार बनाया है।*7 और तुम फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृथ्वी पर बहुतायत से सन्तान उत्पन्न करके उसमें भर जाओ। *""
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