तेरह की वंशावली | परमेश्वर की ओर से अब्राम के बुलाए जाना

14 जब शेलह तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा एवेर का जन्म हुआ; 15 और एबेर के जन्म के पश्चात् शेलह चार सौ तीन वर्ष और जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई। 16 जब एबेर चौतीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा पेलेग का जन्म हुआ; 17 और पेलेग के जन्म के पश्चात् एबेर चार सौ तीस वर्ष और जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई।

18 जब पेलेग तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा रू का जन्म हुआ; 19 और रू के जन्म के पश्चात् पेलेग दो सौ नौ वर्ष और जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई। 20 जब रू बत्तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा सरूग का जन्म हुआ; 21 और सरूंग के जन्म के पश्चात् रू दो सौ सात वर्ष और जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई।

22 जब सरूंग तीस वर्ष का हुआ, तब उसके द्वारा नाहोर का जन्म हुआ; 23 और नाहोर के जन्म के पश्चात् सरूग दो सौ वर्ष और जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुईं।

24 जब नाहोर उनतीस वर्ष का हुआ तब उसके द्वारा तेरह का जन्म हुआ; 25 और तेरह के जन्म के पश्चात् नाहोर एक सौ उन्नीस वर्ष और जीवित रहा, और उसके और भी बेटे बेटियाँ उत्पन्न हुई। 26 जब तक तेरह सत्तर वर्ष का हुआ, तब तक उसके द्वारा अब्राम और नाहोर और हारान उत्पन्न हुए।

तेरह की वंशावली

27 तेरह की वंशावली यह है। तेरह से अब्राम, नाहोर और हारान का जन्म हुआ; और हारान से लूत का जन्म हुआ। 28 हारान अपने पिता के सामने ही कसदियों के ऊर नामक नगर में, जो उसकी जन्मभूमि थी, मर गया। 29 अब्राम और नाहोर दोनों ने विवाह किया। अब्राम की पत्नी का नाम सारै और नाहोर की पत्नी का नाम मिल्का था। यह उस हारान की बेटी थी, जो मिल्का और यिस्का दोनों का पिता था। 30 सारे तो बाँझ थी; उसके सन्तान न हुई।  

31 तेरह अपने पुत्र अब्राम, और अपने पोते लूत, जो हारान का पुत्र था, और अपनी बहू सारै, जो उसके पुत्र अब्राम की पत्नी थी, इन सभों को लेकर कसदियों के ऊर नगर से निकल कनान देश जाने को चला पर हारान नामक देश में पहुँचकर वहीं रहने लगा। 32 जब तेरह दो सौ पाँच वर्ष का हुआ; तब वह हारान देश में मर गया।

परमेश्वर की ओर से अब्राम के बुलाए जाने का वर्णन


12 यहोवा ने अब्राम से कहा, "अपने देश, और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। 2 और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम महान् करूँगा, और तू आशीष का मूल होगा।* 3 जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूँगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे।  
4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला, और लूत भी उसके संग चला, और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था। 5 इस प्रकार अब्राम अपनी पत्नी सारै, और अपने भतीजे लूत को, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किए थे, सब को लेकर कनान देश में जाने को निकल चला; और वे कनान देश में आ गए। 6 उस देश के बीच से जाते हुए अब्राम शकेम में, जहाँ मोरे का बांज वृक्ष है, पहुँचा। उस समय उस देश में कनानी लोग रहते थे। 7 तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, "यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा।""" और.  उसने वहाँ यहोवा के लिये, जिसने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई।  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ