डांसों के झुण्ड
20 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "सबेरे उठकर फ़िरौन के सामने खड़ा होना, वह तो जल की ओर आएगा, और उससे कहना, 'यहोवा तुझ से यह कहता है : मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि वे मेरी उपासना करें। 21 यदि तू मेरी प्रजा को न जाने देगा तो सुन, मैं तुझ पर और तेरे कर्मचारियों और तेरी प्रजा पर, और तेरे घरों में झुंड के झुंड डांस भेजूंगा; और मिस्त्रियों के घर और उनके रहने की भूमि भी डांसों से भर जाएगी। 22 उस दिन मैं गोशेन देश को जिसमें मेरी प्रजा रहती है अलग करूँगा, और उस में डांसों के झुंड न होंगे; जिससे तू जान ले कि पृथ्वी के बीच मैं ही यहोवा हूँ। 23 और मैं अपनी प्रजा और तेरी प्रजा में अन्तर ठहराऊँगा। यह चिह्न कल होगा' ।'' 24 और यहोवा ने वैसा ही किया, और फ़िरौन के भवन और उसके कर्मचारियों के घरों में, और सारे मित्र देश में डांसों के झुंड के झुंड भर गए, और डांसों के मारे वह देश नष्ट हुआ।
25 तब फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, "तुम जाकर अपने परमेश्वर के लिये इसी देश में बलिदान करो।" 26 मूसा ने कहा, "ऐसा करना उचित नहीं; क्योंकि हम अपने परमेश्वर यहोवा के लिये मिस्रियों की घृणित वस्तु बलिदान करेंगे; और यदि हम मिस्रियों के देखते उनकी घृणित वस्तु बलिदान करें तो क्या वे हम पर पथराव न करेंगे? 27 हम जंगल में तीन दिन के मार्ग पर जाकर अपने परमेश्वर यहोवा के लिये जैसा वह हम से कहेगा वैसा ही बलिदान करेंगे।" 28 फ़िरौन ने कहा, ''मैं तुम को जंगल में जाने दूँगा कि तुम अपने परमेश्वर यहोवा के लिये जंगल में बलिदान करो; केवल बहुत दूर न जाना, और मेरे लिये विनती करो।"
29 तब मूसा ने कहा, "सुन, मैं तेरे पास से बाहर जाकर यहोवा से विनती करूँगा कि डांसों के झुंड तेरे, और तेरे कर्मचारियों, और प्रजा के पास से कल ही दूर हों; पर फ़िरौन आगे को कपट करके हमें यहोवा के लिये बलिदान करने को जाने देने के लिये मना न करे। 30 अतः मूसा ने फ़िरौन के पास से बाहर जाकर यहोवा से विनती की। 31 और यहोवा ने मूसा के कहे के अनुसार डांसों के झुण्डों को फ़िरौन, और उसके कर्मचारियों, और उसकी प्रजा से दूर किया; यहाँ तक कि एक भी न रहा। 32 तब फ़िरौन ने इस बार भी अपने मन को कठोर किया, और उन लोगों को जाने न दिया।
पशुओं की मौत
9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, "फिरौन के पास जाकर कह, 'इब्रियों का परमेश्वर यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है : मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे कि मेरी उपासना करें। 2 और यदि तू उन्हें जाने न दे और अब भी पकड़े रहे, 3 तो सुन, तेरे जो घोड़े, गदहे, ऊँट, गाय-बैल, भेड़- बकरी आदि पशु मैदान में हैं, उन पर यहोवा का हाथ ऐसा पड़ेगा कि बहुत भारी मरी होगी । 4 परन्तु यहोवा इस्राएलियों के पशुओं में और मिस्त्रियों के पशुओं में ऐसा अन्तर करेगा कि जो इस्राएलियों के हैं उनमें से कोई भी न मरेगा' ।
5 फिर यहोवा ने यह कहकर एक समय ठहराया, "मैं यह काम इस देश में कल करूँगा।" 6 दूसरे दिन यहोवा ने ऐसा ही किया; और मिस्त्रियों के तो सब पशु मर गए, परन्तु इस्राएलियों का एक भी पशु न मरा। 7 और फ़िरौन ने लोगों को भेजा, पर इस्राएलियों के पशुओं में से एक भी नहीं मरा था। तौभी फ़िरौन का मन कठोर हो गया, और उसने उन लोगों को जाने न दिया।
फफोलों और फोड़ों का निकलना
8 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, "तुम दोनों भट्टी में से एक एक मुट्ठी राख ले लो, और मूसा उसे फ़िरौन के सामने आकाश की ओर उड़ा दे। 9 तब वह सूक्ष्म धूल होकर सारे मित्र देश में मनुष्यों और पशुओं दोनों पर फफोले और फोड़े बन जाएगी।" 10 इसलिये वे भट्ठी में की राख लेकर फिरौन के सामने खड़े हुए, और मूसा ने उसे आकाश की ओर उड़ा दिया, और वह मनुष्यों और पशुओं दोनों पर फफोले और फोड़े बन गई। 11 उन फोड़ों के कारण जादूगर मूसा के सामने खड़े न रह सके, क्योंकि वे फोड़े जैसे सब मिस्रियों के वैसे ही जादूगरों के भी निकले थे। 12 तब यहोवा ने फ़िरौन के मन को कठोर कर दिया, और जैसा यहोवा ने मूसा से कहा था, उसने उसकी न सुनी।
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