41 बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहा, चौदह वर्ष तो मैं ने तेरी दोनों बेटियों के लिये, और छः वर्ष तेरी भेड़-बकरियों के लिये सेवा की, और तूने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला। 42 मेरे पिता का परमेश्वर, अर्थात् अब्राहम का परमेश्वर जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी और न होता तो निश्चय तु अब मुझे छू हाथ जाने देता। मेरे दुःख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे डोटा।"
बाकूब और लाबान के बीच सन्धि
43 लावान ने याकूब से कहा, "ये बेटियाँ तो मेरी ही है, और ये बच्चे भी मेरे ही हैं, और ये भेड़-बकरियाँ भी मेरी हो हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है वह सब मेरा ही है। परन्तु अब मैं अपनी इन बेटियों और इनकी सन्तान से क्या कर सकता हूँ ? 44 अब आ, मैं और तू दोनों आपस में वाचा बाँध, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरे।" 45 तब याकूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया। 46 तब याकूब ने अपने भाई-बन्धुओं से कहा, "पत्थर इकट्ठा करो," यह सुनकर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया, और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया।
47 उस ढेर का नाम लाबान ने तो यज्रसहादुथा, पर याकूब ने गिलियाद रखा। 48 लावान ने कहा, "यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा।" इस कारण उसका नाम गिलियाद रखा गया, 49 और मिजपा* भी; क्योंकि उस ने कहा, "जब हम एक दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देखभाल करता रहे।
50 यदि तू मेरी बेटियों को दुःख दे, या उनके सिवाय और स्त्रियाँ ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख, मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा।"" 51 फिर लावान ने याकूब से कहा, "इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैं ने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है। 52 यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें कि हानि करने के विचार से न तो मैं इस ढेर को पार करके तेरे पास जाऊँगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को पार कर के मेरे पास आएग ा
53 अब्राहम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, वही हम दोनों के बीच न्याय करे ।" तब याकूब ने उसको शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था 54 और याकूब ने उस पहाड़ पर मेलबलि चढ़ाया, और अपने भाई-बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, तब उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई। 55 भोर को लावान उठा, और अपने बेटे-बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।
एसाव से मिलने की तैयारी
3 तब याकूब ने सेईर देश में, अर्थात् एदोम देश में, अपने भाई एसाव के पास अपने आगे दूत भेज दिए, 4 और उसने उन्हें यह आज्ञा दी, "मेरे प्रभु एसाव से यों कहना तेरा दास याकूब तुझ से यों कहता है कि मैं लाबान के यहाँ परदेशी होकर अब तक रहा; 5 और मेरे पास गाय-बैल, गदहे, भेड़-बकरियाँ, और दास- दासियाँ हैं; और मैं ने अपने प्रभु के पास इसलिये संदेश भेजा है कि तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो।"
6 वे दूत याकूब के पास लौट के कहने लगे, "हम तेरे भाई एसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरुष संग लिये हुए चला आता है।" 7 तब याकूब बहुत डर गया, और संकट में पड़ा और यह सोचकर अपने साथियों के, और भेड़-बकरियों के, और गाय बैलों, और ऊँटों के भी अलग अलग दो दल कर लिये,
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