15 और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिचका, जो अब्राहम के भाई नाहोर के जन्म मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी थी, वह कन्धे पर घड़ा लिये हुए आईं। 16 वह अति सुन्दर और कुमारी थी, और किसी पुरुष का मुँह न देखा था। वह कुएँ में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भर के फिर ऊपर आई।
17 तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, “अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे ।" 18 उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, ले, पी ले, " और उसने जल्दी से घड़ा उतारकर हाथ में लिये लिये उसको पिला दिया। 19 जब वह उसको पिला चुकी, तब कहा, ''मैं तेरे ऊँटों के लिये भी तब तक पानी भर भर लाऊँगी, जब तक वे पी न चुके ।" 20 तब वह तुरन्त अपने घड़े का जल हौदे में उण्डेलकर फिर कुँए पर भरने को दौड़ गई, और उसके सब ऊँटों के लिये पानी भर दिया। 21 वह पुरुष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं।
22 जब ऊँट पी चुके, तब उस पुरुष ने आधा तोला सोने का एक नथ निकालकर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहिना दिए, 23 और पूछा, "तू किसकी बेटी है, यह मुझ को बता। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है ?” 24 उसने उत्तर दिया, *"मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ।”
25 फिर उसने उससे कहा, "हमारे यहाँ पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है।" 26 तब उस पुरुष ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् करके कहा, 27 "धन्य है मेरे स्वामी अब्राहम का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपनी करुणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया; यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चलाकर मेरे स्वामी के भाई- बन्धुओं के घर पर पहुँचा दिया है।"
28 तब उस कन्या ने दौड़कर अपनी माता के घर में यह सारा वृत्तान्त कह सुनाया। 29 तब लावान जो रिबका का भाई था, बाहर कुएँ के निकट उस पुरुष के पास दौड़ा गया। 30 और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नथ और अपनी बहिन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे और उसकी यह बात भी सुनी कि उस पुरुष में मुझ से ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरुष के पास गया; और क्या देखा कि वह सोते के निकट ऊँटों के पास खड़ा है।
31 उसने कहा, "हे यहोवा की ओर से धन्य पुरुष, भीतर आ। तू क्यों बाहर खड़ा है ? मैं ने घर को, और ऊँटों के लिये भी "स्थान तैयार किया है।" 32 इस पर वह पुरुष घर में गया; और लाबान ने ऊँटों की काठियाँ खोलकर उन्हें पुआल और चारा दिया, और उसके और उसके साथियों के पाँव धोने को जल दिया। 33 तब अब्राहम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया; पर उसने कहा, “मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूँ, तब तक कुछ न खाऊँगा।'' लाबान ने कहा, "कह दे।"
34 तब उसने कहा, "मैं तो अब्राहम का दास हूँ। 35 यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है, इसलिये वह महान् पुरुष हो गया है, और उसने उसको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-रूपा, दास-दासियाँ, ऊँट और गदहे दिए हैं। 36 और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है; और उस पुत्र को अब्राहम ने अपना सब कुछ दे दिया है। 37 मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई है, 'मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके देश में वह रहता है, कोई स्त्री नहीं लाऊँगा।
38 मैं उसके पिता के घर और कुल के लोगों के पास जाकर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊँगा।' 39 तब मैं ने अपने स्वामी से कहा, 'कदाचित् वह स्त्री मेरे पीछे न आए। 40 तब उसने मुझ से कहा, 'यहोवा, जिसके सामने मैं चलता आया हूँ, वह तेरे संग अपने दूत को भेजकर तेरी यात्रा को सफल करेगा, और तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिए एक स्त्री ला सकेगा।
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