12 तब अब्राहम ने उस देश के निवासियों के सामने दण्डवत् किया। 13 और उनके सुनते हुए एप्रोन से कहा, "यदि तु ऐसा चाहे, तो मेरी सुन : उस भूमि का जो दाम हो, वह मैं देना चाहता हूँ; उसे मुझ से ले ले, तब मैं अपने मृतक को वहाँ गाइँगा।" 14 एप्रोन ने अब्राहम को यह उत्तर दियो, 15- "हे मेरे प्रभु, मेरी बात सुन उस भूमि का दाम तो चार सौ शेकेल रूपा है; पर मेरे और तेरे बीच में यह क्या है? अपने मृतक को कब्र में रख।" 16 अब्राहम ने एप्रोन की मानकर उसको उतना रूपा तौल दिया, जितना उसने हित्तियों के सुनते हुए कहा था, अर्थात् चार सौ ऐसे शेकेल जो व्यापारियों में चलते थे। ह
17 इस प्रकार एप्रोन की भूमि, जो मम्रे के सम्मुख मकपेला में थी, वह गुफा समेत और उन सब वृक्षों समेत भी जो उसमें और उसके चारों ओर सीमा पर थे, 18 जितने हित्ती उसके नगर के फाटक से होकर भीतर जाते थे, उन सभों के सामने अब्राहम के अधिकार में पक्की रीति से आ गई। * 19 इसके पश्चात् अब्राहम ने अपनी पत्नी सारा को उस मकपेला वाली भूमि की गुफा में, जो मने के अर्थात् हेब्रोन के सामने कनान देश में है, मिट्टी दी। 20 इस प्रकार वह भूमि गुफ़ा समेत जो उसमें थी, हित्तियों की ओर से कब्रिस्तान के लिये अब्राहम के अधिकार में पक्की रीति से आ गई।
इसहाक के विवाह का वर्णन
24 अब्राहम अब वृद्ध हो गया था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी। 2 अब्राहम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, "अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रख; 3 और मुझ से आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहाँवा की इस विषय में शपथ खा कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके बीच मैं रहता हूँ, किसी को न लाएगा।
4 परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा।" 5 दा ने उससे कहा, "कदाचित् वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहाँ से तू आया है ले जाना पड़ेगा ?"" 6 अब्राहम ने उससे कहा, “चौकस रह, मेरे पुत्र को वहाँ कभी न ले जाना।
7 स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्म भूमि से ले आकर मुझ से शपथ खाई और कहा कि मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा, वही अपना दूत तेरे आगे आगे भेजेगा कि तू मेरे पुत्र के लिये वहाँ से एक स्त्री ले आए।
8 परन्तु यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी तू इस शपथ से छूट जाएगा; पर मेरे पुत्र को वहाँ न ले जाना। 9 तब उस दास ने अपने स्वामी अब्राहम की जाँघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इस विषय की शपथ खाई। 10 तब वह दास अपने स्वामी के ऊँटों में से दस ऊँट छाँटकर, उसके सब उत्तम उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ लेकर चला और मेसोपोटामिया* में नाहोर के नगर के पास पहुँचा। 11 उसने ऊँटों को नगर के बाहर एक कुएँ के पास बैठाया। वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियाँ जल भरने के लिये निकलती हैं।
12 वह कहने लगा, “हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करुणा कर। 13 देख, मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूँ, और नगरवासियों की बेटियाँ जल भरने के लिये निकली आती हैं : 14 इसलिये ऐसा होने दे कि जिस कन्या से मैं कहूँ 'अपना घड़ा मेरी ओर झुका कि मैं पीऊँ,' और वह कहे, 'ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी, यह वही हो जिसे तू ने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूँगा कि तू ने मेरे स्वामी पर करुणा की है।
0 टिप्पणियाँ